नारायणपुर की लक्ष्मी

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बड़ा सा राज्य था वह। राजा भी बड़ा प्रतापी था उसका। बुद्धिमान और प्रजापालक। सदा सच्चे हृदय से प्रजा की भलाई में लगा रहता। उसने सोचा...बाकी तो सब ठीक है, बस दूर-दराज के गाँवों का विकास जरा धीरे-धीरे हो रहा है। उसके मन में बात जैसे ही आई...एक नई योजना ने जन्म लिया। अपने सभी मंत्रियों को उसने आदेश दिए-"आज से हम सब एक-एक गाँव को गोद लेंगे। उसकी सारी व्यवस्था, जिम्मेदारी और विकास का जिम्मा हमारा। मैं स्वयं परीक्षा भी करूँगा।" राजा के इस सुझाव के बाद कुछ मंत्री तो बड़े प्रसन्न हुए। उत्साह में कुछ अच्छा करने की चाह और अपने