दिन भर आग के गोले की तरह तपने के बाद धरती ठंडी हो रही थी, मीठी मीठी पुर्वा चल रही थी और मोहल्ले में एकदम सन्नाटा था । चौहान परिवार बरामदे में सो रहा था और सुनाई दे रही थी तो सिर्फ फर्राटे की आवाज़ । तभी अभिषेक उठ कर खड़ा हो गया और उसके उठते ही चौहानी जी की भी आँख खुल गई और उन्होंने पूछा – ” क्या हुआ बेटा ? ” अभिषेक ने तुरंत जवाब दिया मानो उत्तर रट रखा हो – “कुछ नहीं माँ, ज़रा प्यास लगी थी । पानी पीकर आता हूं, तू सो जा