पौराणिक कथा- विश्वामित्र का घमण्ड अयोध्या वाले दूत ने राम के राज्याभिषेक का निमंत्रण विश्वामित्र को सौंपा । पत्र पढ़कर विश्वामित्र गर्व से भर उठे। विश्वामित्र को ऐसी आशा न थी कि राम के वनवास के बाद राज्याभिषेक का निमंत्रण उन्हें इस संदेश के साथ मिलेगा कि इस समारोह के स्वागताध्यक्ष वे ही होंगे। देश- विदेश से पधार रहे विद्वानों ओर ऋषि मुनियों व गुरूकुल के कुलपतियों को ठहराने व सारी मेहमान नवाजी का जिम्मा उन्हें ही सौंपा गया था। संदेश पत्र लाने वाले दूत ने वशिष्ठ की ओर से उनसे निवेदन किया था कि