विश्रान्ति (‘रहस्य एक रात का’A NIGHT OF HORROR) अरविन्द कुमार ‘साहू’ विश्रान्ति (The horror night) (बूढ़ा कह रहा था, "मैं हूँ ठाकुर मंगल सिंह")-5 मौसी को वह रहस्यमय साये जैसा व्यक्ति बूढ़ा इसलिये लगा क्योंकि उसके चेहरे पर सफ़ेद कोहरे जैसी लंबी - लंबी घनी मूँछें व दाढ़ी लटकती हुई साफ दिख रही थी । लेकिन उसके भी चेहरे की रंगत शायद साँवली ही रही होगी या फिर हवेली की छाया में पड़ने वाले झापक अँधेरे की वजह से दुर्गा मौसी को ऐसा लग रहा था । फिर दुर्गा को महसूस हुआ कि वह भी पूरा काला परछाईं जैसा ही