किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 9 मैं आज तक उसके हद भूल जाने की बात का अर्थ नहीं समझा कि क्या वह मेरे हाथ उठाने पर मुझ पर हाथ उठाने को कह रही थी या जैसे मैं संजना के साथ रिश्ते जी रहा था वैसा ही कुछ करने को कह रही थी। खैर उस दिन के बाद उसने बेडरूम में आना उसकी साफ-सफाई तक बंद कर दी। बच्चे भी नहीं आते मेरे पास। एक बदलाव और हुआ सैलरी के दिन आते ही उसने पिचहत्तर प्रतिशत हिस्सा पूरी दबंगई के साथ लेना शुरू कर दिया। सच यह था कि