सकरिया रहता किस देश में है बीस साल पहले लिखी एक कविता से बाहर निकल कर सकरिया एकदम मेरे सामने खड़ाहो गया। वह सकरिया जो छककर दारू, ताड़ी पीता, वह सकरिया जो रोज अपने पेट कागड्ढा भरने रोज दाड़की करता, वह सकरिया जिसे यह पक्का मालूम कि किस सीजनमें कहाँ दाड़की चोक्खी मिलेगी, वह सकरिया जिसे यह भी पता है कि अंगूठा कहाँलगाना है और कहाँ से पीसा लेना है। बीस साल पहले मैंने उससे कविता बनाई याउसने मेरी कविता बनाई यह एक अलग बहस का मुद्दा है पर उसे यह तब भी नहींपता था और ये तय है कि