मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 19

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 19 ध्यानेन्द्र मणि त्रिपाठी मुट्ठी भर आसमां ये कैसे छलिया दिन हैं? वो छलावरण में माहिर है। गजब का बाज़ीगर, पल भर में माशा पल भर में तोला? नंदीप कैलकेरिया की हरी गझिन झाड़ियों में इस गिरगिट के जोड़े को बड़़ी देर से ताक रहा था। लॉकडाउन में बालकनी ही वो जगह है जहां थोड़ी देर के लिए या पूरे दिन भर भी मटरगश्ती की जा सकती है। गजब है कुदरत का करिश्मा, ये गिरगिट कितनी खूबसूरती से अपने को आसपास के रंगों में ढाल लेते हैं और इस जोड़े में ये हैन्डू नर अपने गलफड़