वर्ष पंख लगाते ही बीत गए। दुर्गा एक प्यारे से बेटे की मां बन गई थी और कृष्णा ने नई ऊंचाइयों को छूते हुए बीएससी फर्स्ट डिवीजन से पास की। उसके नाम के साथ एक नया तमगा जुड़ गया, गोल्ड मेडलिस्ट कृष्णा। दीक्षांत समारोह में वह अपने माता-पिता के साथ पहुंची। अपनी बेटी को सम्मानित होता देख। रमेश और कमलेश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।कृष्णा शुरू से ही साइंटिस्ट बनना चाहती थी और उसका यह सपना कॉलेज से मिली स्कॉलरशिप ने पूरा कर दिया। उसे अगले महीने अमरीका जाने का निमंत्रण मिला था।जिसने भी सुना कृष्णा को बधाई