विश्रान्ति - 4

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विश्रान्ति (‘रहस्य एक रात का’A NIGHT OF HORROR) अरविन्द कुमार ‘साहू’ विश्रान्ति (The horror night) (उस रहस्यमय व्यक्ति की आहट से गाँव के कुत्ते व सियार भी अजीब से बेचैन थे) -1 - “हूँ...., तभी तो मैं सोचूँ कि मुझे ऐसा कोई नाम ध्यान में क्यों नहीं आ रहा है?” दुर्गा मौसी ने कुछ संतुष्टि की साँसें ली। लेकिन वह अब भी जैसे कुछ याद करने का ही प्रयास कर रही थी इसलिए आगन्तुक युवक उन्हें फिर से जल्दियाते हुए बोला – “सोच - विचार में समय न गँवाइए मौसी ! जल्दी चलिए , मैं बैलगाड़ी लेकर आया हूँ।