आलिंगनगीतेश के दो ही शौक थे। एक दिन में पेंटिंग बनाना और दूसरा रात को मशहूर कहानीकारों की कहानियां पढ़ना। तूलिका और कैनवास से उसका गहरा रिश्ता था। चित्रकारी का जनून गीतेश को इस हद तक था कि जब तक उसकी बनाई तस्वीर पूरी नहीं हो जाती तब तक वह कमरे में ही कैद रहता। पिछले बीस सालों में उसने ना जाने कितनी तस्वीरें बनाई। उसके कमरे में जिधर देखो उधर पेंटिंग ही नजर आती। पेंटिंग क्या जीवन तस्वीरें कहो। ध्यान से देखने पर ऐसा प्रतीत होता जैसे उसकी हर पेंटिंग कुछ ना कुछ कह रही हो। ऐसा लगता जैसे इंसानी