कहानी किससे ये कहें! - 4

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कहानी किससे ये कहें! नीला प्रसाद (4) अय्यर के चैंबर से बाहर निकलते ही उमा पल भर में फिर से झंझावातों में घिर गईं। टी.एस. बनने का मतलब था साहब के ठीक बगल के कमरे में उनके सेक्रेटेरियट में बैठना, उनके आदेशों के पालन के लिए हर वक्त उपलब्ध रहना, घर अकसर देर से लौट पाना...और फिर से अफवाहों, चर्चाओं के केन्द्र में आकर अपना दाम्पत्य जीवन बिगाड़ना! निरंजन को पति रूप में ठीक से पा सकने के पहले ही फिर से उन्हें खो देना!! वे रात भर जागती रहीं और उन दलीलों के बारे में सोचती रहीं जो टी.एस.