सुबह-सुबह जागते ही घर के बरामदे में पहुंचा। वही रोज की हल्की-फुल्की कसरत करने के लिए। पर आज कोई जल्दबाजी नहीं , क्योंकि आज रविवार था। रोज की तरह आज प्रकृति की सुंदरता चारों ओर व्याप्त थी। इंदौर की सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था। इक्का-दुक्का वाहन ही नजर आ रहे थे। सड़कों के बीचों-बीच एक लंबी क्यारी में, तरह-तरह के फूल खिले हुए थे। स्वच्छता अभियान के चलते यहां बहुत कुछ बदला है। नजरों को क्षितिज की ओर उठाया तो खिल-खिलाते रवि साहब का उदय हो रहा था। रवि की लालिमा भरी आभा ,मेरी काया को अपने ओजपूर्ण प्रकाश से