किसी ने नहीं सुना - 7

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किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 7 मेरी इस बात पर संजना फिर लेट गई बेड पर उसके दोनों पैर नीचे लटक रहे थे। कपड़े पहले से ज़्यादा अस्त-व्यस्त हो रहे थे। बदन पहले से अब कहीं और ज़्यादा उघाड़ हो रहा था। उसका कामुक लुक और ज़्यादा कामुक हो रहा था। उसकी बॉडी लैंग्वेज और ज़्यादा प्रगाढ़ आमंत्रण दे रही थी। मैं उसके सामने कुर्सी पर बैठा उसे निहार रहा था। उसने कुछ क्षण मेरी आंखों में देखा फिर बोली, ‘मैंने बहुत सोच समझ कर ही तुम्हारी तरफ यह क़दम बढ़ाया है। तुममें कुछ ख़ास देखा तभी तो