बचपन का डर

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“अंधेरा ,डर दोनो का मेल अंधा स है प्रकाश के आते ही दोनों गायब से हो जाते है” {मेरी तरफ वो आदमी चलता ही आ रहा था। वो डरावना स आदमी मेरी आँखों के सामने आकर खड़ा हो गया} गर्मी की छुट्टियों का इंतजार हम सभी को होता है क्योंकि इन दिनों हम अपनी दादी के घर जाते थे,क्योंकि मैं ,मम्मी और पापा के काम के सिलसिले से कानपुर में रहते थे पापा NTPC में काम करते थे हमारी दादी उन्नाव में रहती थी मेरे 5वी की परीक्षा खत्म हो गई थी और हम सभी दादी के यहाँ गए। रास्ते