दरमियाना - 31 - अंतिम भाग

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दरमियाना भाग - ३१ जी, जरूर! आप जब भी, जैसी भी मदद कहेंगी, मैं जरूर करूँगा। मैंने उन्हें आश्वासन दिया।... यह केवल दयारानी का ही दर्द नहीं था। तारा माँ के संपर्क में आने के दौरान मैं छोटा अवश्य था, मगर इनकी 'भिन्नता' की पीड़ा को भी समझने लगा था।... फिर संध्या की मौत ने तो मुझे बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया था। वर्षों तक उस अवसाद से बाहर निकलना मेरे लिए कठिन हो गया था।... सुनंदा के बिंदासपन का मैं कायल जरूर था, किन्तु उसके जिस्म और जज्बात के बीच एक संतुलन बनाने की पीड़ा को भी