पापा वो रहे (दानी की कहानी ) --------------------------- दानी जब कहानी सुनाने बैठतीं तब या तो अपने ज़माने की या फिर कोई पौराणिक कथा सुनाने लगतीं ,जिससे बच्चे अब तक बोर हो चुके थे इसलिए जब चॉयस की बात आती तो सबकी एक ही राय होती कि दानी अपनी ही कहानी सुनाएँ दानी भी खूब मज़े लेकर अपने बीते दिनों में पहुँच जातीं यह तबकी बात है जब दानी लगभग पाँच वर्ष की रही होंगी उन दिनों उनके पिता दिल्ली में सरकारी नौकरी करते थे ,दानी उनके पास रहतीं व वहीं एक मॉन्टेसरी