प्रेम दो दिलो का - 2

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जो भी अब कर सकता था अब निर्मल ही था निर्मल ने रुचि की मदत से नीरू के पूरे बदन पे पट्टि रखता है। जब उसके पिता जी सहर से वापस आते है तो उनके साथ सहर जाकर नीरू को डॉक्टर से दिखाता है । बुखार की वजह से नीरू कमजोर हो गयी थी । वह जब घर वापस आए तो अस्पताल मे रात मे रुकना निर्मल के लिये आसान था । लेकिन निर्मल अब नीरू को छोड़ना नही चाहता है। वह चाहता है की वह नीरू के पास बैठ कर पुरा समय उसको देखता रहे , लेकिन यह सम्भव