मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 16

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 16 लेखिका: रिंकी वैश अधूरी कहानियों के खंडहर “ज़िंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में है जहाँपनाह, जिसे न आप बदल सकते हैं न मैं। हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं, जिनकी डोर ऊपर वाले की उँगलियों में बंधी है, कब, कौन, कैसे उठेगा, ये कोई नहीं बता सकता है. हाहाहा, हाहाहा.” निहारिका अपने 11 साल के बेटे अक्षर के साथ हिंदी फ़िल्मों के डॉयलॉग बोलने का गेम खेल रही थी। जब से लॉकडाउन शुरू हुआ था, उसने यह नया तरीका निकाला था अक्षर का मन लगाए रखने के लिए। वरना तो उसे मोबाइल