घेराव - 1

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घेराव (कहानी पंकज सुबीर) (1) घटना को देखा जाए तो एसी कोई बहुत बड़ी घटना भी नहीं है कि उस पर इतना हंगामा हो। लेकिन अगर शहर का इतिहास देखें तो यही छोटी सी घटना बारूद के घर में जलती हुई अगरबत्ती की तरह साबित हो सकती है। शहर के कुछ आवारा शोहदे स्कूल से लौटती हुई दो बहनों को रोज़ छेड़ते थे। बहनों के साथ मुश्किल यह थी कि उनके घर में मर्द नाम की कोई चीज़ नहीं थी। उनके पिता बैंक में नौकरी करते थे जिनके अचानक गुज़र जाने के बाद मां को अनुकंपा नौकरी बैंक में मिल