हमें घर जाना हैं

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भूख शाम का समय था l सूरज अभी डूबा न था, लालिमा छा गयी l आज सारे दिन मेरा एक ही काम था l जिला दंडाधिकारी दिल्ली से बाहर जाने के लिए पास जारी हो रहे थे l पास बनवाने वालों की बहुत भारी भीड़ और ऊपर से दिनभर की तप्ती गर्मी भी परेशान कर रही थी l सभी को अपने- अपने घर जाने की लालसा थी l छोटे बच्चे, बूढे, जवान और औरतें भी पास बनवाने के लिए कतार में खंभे की तरह अस्थिर खड़े थे l कहीं कोई पानी की व्यवस्था न थी, केवल प्रकृति ही सबका सहारा