आकाश के सुरुचिपूर्ण ढंग से बने हुए मकान सुकून में उनके पहले शिशु के नामकरण संस्कार के उपलक्ष में आयोजित भोज में भारी संख्या में आमंत्रित मेहमान आ रहे थे। अपने मित्रों, रिश्तेदारों की भीड़ से घिरा हुआ आकाश अपने नवजात शिशु को सीने से चिपकाए असीम ममता भरी आंखों से उसे निहार रहा था । आकाश को अपने कलेजे के टुकड़े पर यू स्नेह बरसाते देख डॉक्टर भावेश को न जाने क्या हुआ था, अदम्य आक्रोश मिश्रित आवेश से उनकी कनपटी की मांस पेशियां तन गई थीं और अटकते से स्वरों में उन्होंने आकाश से कहा "माफ करना दोस्त,