ज्याँकों राँखें साईंयाँ.. भाग 1

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युवी केलेंडर की तारीख देखते हुवे."उस रात जो हुवा वह मरते दम तक याद रहेगा. पर उस रात न अमावस्या थी और नाही पूर्णिमा फिर भी यह घटना कैसे घटी. बस आसमान में दिनभर से बदली छाई थी,उस रोज मौसम भी कुछ बईमान सा था....आनेवाला कोई तूफान था.....!हां... मेंरी जिंदगी में, एक तूफान अनदेखा,अनचाहा तूफान....!"ठीक एक महीने बाद उस रात की घटना युवी को फिर याद आई थीऔर युवी उस रात की गहरी डरावनी यादों में डूब गया.गुरुवार का ही दिन था , देर रात युवी कि पत्नी उसे समझते हुए कह रही थी."अगले गुरुवार...दो बार चले जाना, साईबाबा के