मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 13

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 13 लेखिका शिल्पा शर्मा ज़िंदगी की ताल पे राग रस्साकशी ‘‘कहा था ना कि मत जाओ... अब... अब मैं इतने लंबे समय तक अकेली रहूंगी उनके साथ? और तुम... और पापा... सब अकेले-अकेले... 21 दिनों तक? तुम मेरी बात सुनते ही नहीं कभी,’’ दूसरी मंज़िल की बालकनी में खड़े होकर अपना मोबाइल कान में लगाए इतनी ज़ोर-ज़ोर से चीखते हुए बात कर रही थी मीता कि नीचे खड़े वॉचमैन की नज़र भी ऊपर की ओर उठ गई कि कहीं उसे पुकारा तो नहीं जा रहा है। दूसरी ओर से राघव का शांत स्वर आया,‘‘थोड़ा धीरे बात