होने से न होने तक 12. डाक्टर दीपा वर्मा उठ कर खड़ी हो गयी थीं,‘‘चलिए मैं आपको स्टाफ रूम दिखा दूं और आपको सबसे मिलवा दूं।’’ वे बहुत तेज़ी से बाहर निकल गयी थीं...छोटा सा कद, छोटे छोटे कदम। लगा था जैसे वे दौड़ते हुए चल रही हो। उसी तेज़ी से वे सीढ़ियॉ चढ़ने लगी थीं। उनके पीछे पीछे मैं। हम लोगों के स्टाफ रूम में पहुचते ही कमरे में उपस्थित सभी लोग उठ कर खड़े हो गए थे...नमस्ते दीदी...नमस्कार दीपा दी, गुड मार्निग मैम की अलग अलग आवाज़ें आने लगीं और मिस वर्मा के चेहरे पर एक उत्तेजित सा