दरमियाना भाग - २९ दयारानी का राजनीति में रूची, सामाजिक कार्यों में आगे बढ़कर योगदान करने... और किन्नर समाज के हितों की लड़ार्इ लड़ने के उनके साहस ने मुझे भी उनसे जोड़े रखा। मैं यदाकदा उन्हें फोन कर, उनके घर चला जाता रहा। धीरे-धीरे मुझे उनके बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी भी होने लगी। पता लगा कि वे पुराने गाजियाबाद शहर के मोहल्ला कांजीमल की रहने वाली थीं। पिता जी जूते बनाने का काम किया करते थे, लिहाजा घर की माली हालत भी बहुत अच्छी नहीं थी। एक भार्इ था 'बाबू', वह भी जैसे-तैसे अपना गुजारा किया करता था। किन्तु पिता