अशीर्वाद ?? ----------------- कितने विलंबों के उपरान्त भी उसके आगमन की छुअन जीवन के एक निश्चित किनारे पर आकर थम गई है| वैसे उसने प्रतीक्षा छोड़ दी थी,क्या करना ---उसका जीवन आवारा बादल सा भटकता रहा है,आधी तो कट गई ,बाक़ी भी यूँ ही कट जाएगी | बेतरतीबी से उलझते से बादलों के साथ मन की रस्साकशी भयभीत करने लगती है |जीवन जीने और ढोने के बीच की स्थितियाँ