ये चकलेवालियां, ये चकलेबाज - 1

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ये चकलेवालियां, ये चकलेबाज नीला प्रसाद (1) सुबह दफ्तर में वह दिन और दिनों जैसा ही था– एकरसता की लड़ी में गुथा, जाने - पहचाने स्वाद वाला। जाते वसंत की खिली धूप में चमकदार, कुरमुरा, क्रिस्प -सा सोंधा -सोंधा दिन, जो दरवाजे से घुसते समय के गुड मॉर्निंग, नमस्ते से शुरू होकर शाम को बाय या गुड नाइट पर खत्म हो जाने वाला हो। लगा नहीं था कि उसकी एकरसता यूं पापड़ की तरह चरमरा कर टूटेगी और शाम को सब - के - सब, चूर हो गए पापड़ की तरह ही अपने दिल, अपनी मान्यताओं और सोच के चरमराए