सुराख से झाँकती ज़िंदगी

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मम्मा से लड़कर, गुस्सा होकर अपनी सहेली के घर गयी स्वरा तुरन्त ही लौट आयी थी . रह रहकर दोनों घरों की तस्वीर उसकी आँखों के सामने फ़िल्म की तरह चल रही थी.. एक तरफ अपनी जिद, अपना गुस्सा, अपनी इच्छाएं, पापा की विवशता और मम्मा का मौन संघर्ष.. और दूसरी तरफ बचपन की खास दोस्त अद्विका की चकाचौंध भरी जिंदगी, उसके मॉम डैड की रोमांटिक लाइफ.. सब कुछ . वह एक अल्हड़ और नादान सी माता पिता की लाडली बेटी उम्र के उस दौर से गुजर रही थी जब आँखों में उगे सपने दिल में