अकाल में उत्सव - पंकज सुबीर

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कई बार कुछ ऐसा मिल जाता है पढ़ने को जो आपके अंतर्मन तक को अपने पाश में जकड़ लेता है। आप चाह कर भी उसके सम्मोहन से मुक्त नहीं हो पाते। रह रह कर आपका मन, आपको उसी तरफ धकेलता है और आप फिर से उस किताब को उठा कर पढ़ना शुरू कर देते हैं जहाँ से आपने उसे पढ़ना छोड़ा था। ऐसा ही इस बार मेरे साथ हुआ जब मैंने पंकज सुबीर जी का उपन्यास "अकाल में उत्सव" पढ़ने के लिए उठाया। इस उपन्यास को पढ़ कर पता चलता है कि पंकज सुबीर जी ने विषय को ले कर