समय बदल रहा था. बच्चे उच्च शिक्षा हेतु शहरों में पढ़ रहे थे. नौकरियां भी बाहर ही मिलनी थीं, अब तो उनके खुद के परिवार भी बन गये, शादी के बाद. अब सब तभी इकट्ठे होते जब कोई शादी गांव से होनी होती. अधिकांश ने शहरों में ही घर बनवा लिये थे अब सब तभी इकट्ठे होते जब कोई शादी गांव से होनी होती. अधिकांश ने शहरों में ही घर बनवा लिये थे. तिवारी जी के भाइयों ने ज़रूर पुराने मकान में ही तब्दीली कर, उसे पक्का और सुविधाजनक कर लिया था. उन सब का विचार था, कि वे रिटायरमेंट के बाद गांव में ही रहेंगे. रहना