वो दिन बड़ा ही सुहाना सा था , वो मुलाकात बड़ी सुहानी सी थी, वेसे तो कोई रीस्ता न था पर, वो अजनबी अपना सा था ।। उस दिन की सुबह एसी ही थी जैसी रोज होती हैं। में उठी अर्सुस्वल लेट ही थी, रेडी होने के साथ ही ब्रेक फास्ट हो रहा था। टाइम की कमी वैसी ही थी जेसी रोज होती है।