डर और मां

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एक समय की बात है जब मै ज्योति प्रकाश कक्षा पांच में पढ़ता था, और मेरी उम्र लगभग नौ साल की थी। मेरे पिता जी श्री संतराम राय एक अध्यापक थे और जिस स्कूल में वो पढ़ाते थे उस समय उसी स्कूल में मै पढ़ता था। परिवार की हर इच्छाओं को पूरी करने की कोशिश में पिता जी (बाबा) स्कूल से छूटने के बाद ट्यूशन पढ़ाने भी जाया करते थे। और यदि हमें कभी किसी किताब या अन्य चीज की आवश्यकता होती थी तो बाबा स्कूल के पास वाली दुकान से सहेज कर दिला देते थे कि दे दो हिसाब