इसी उधेड़बुन में एक और हफ्ता गुजर गया | उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह करे तो क्या करे | इसी बीच एक अनजान नंबर से उसे कई बार फ़ोन आ चुका था लेकिन वह उठा नहीं रही थी | एक दिन परेशान हो उसने उस अनजान नंबर से बात करने की सोची ही थी कि उस नंबर से फिर घंटी बज उठी | उसने फ़ोन उठाया और ‘हेलो’ कहा ही था कि दूसरी तरफ से बोलने वाले ने अपना परिचय देते हुए बोलना शुरू किया तो जैसे-जैसे वह सुनती जा रही थी वैसे-वैसे उसका चेहरा ख़ुशी