प्रकृति मैम - मुकाम ढूंढें चलो चलें ( अंतिम भाग)

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मुकाम ढूंढें चलो चलेंकफ परेड के पांच सितारा प्रेसिडेंट होटल में मैं बैठा था। वहां अगली सुबह जल्दी एक कार्यक्रम होना था। तैयारी के लिए रात को वहां रुकने के लिए ऊपरी मंज़िल पर हमने एक कमरा भी बुक करवा रखा था। चर्चगेट से आखिरी ट्रेन रात दो बजे जाती थी। स्टेज पर फूलों की सज्जा के बीच हमारे पोस्टर्स और बैनर्स सेट करने वाले दोनों लड़के अभी निकल कर गए थे। मैं सोने के लिए कमरे में आ गया। अभी कपड़े उतार कर लेटा ही था कि कमरे की बैल बजी। सामने वही लड़का खड़ा था जो अभी नमस्ते कह