होने से न होने तक 8. बुआ का चेहरा उतर गया था किन्तु उन्होने उस बात पर आगे कोई बहस नहीं की थी। वे वैसे भी आण्टी के साथ विवाद में नही पड़तीं। यश ने कुछ परिहास किया था। आण्टी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आयी थी और फिर वे गंभीर हो गयी थीं,‘‘नही यश मज़ाक की कोई बात नहीं। मैं बहुत अच्छी तरह से अम्बिका की तकलीफ समझ सकती हूं। उसकी अपने घर में रहने की इच्छा भी। उसमें कुछ भी ग़लत नहीं है। बल्कि वही नैचुरल और सही है। आई एम हैप्पी कि उसने वहॉ जा कर