आवाज़ों वाली गली

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आवाज़ों वाली गली कहानी से हकीकत में ढले थे, हकीकत से कहानी हो गये हैं. (राजेश रेड्डी) वह एक शहर था, सचमुच में कहें तो एक कस्बा. पर तब मेरा मन पूरी शिद्दत से उसे शहर ही मानता था. शहर, किसी आम छोटे शहर जैसा ही, उस शहर में एक आम मुहल्ला, मुहल्ले में एक बहुत आम सी गली. पर गली आम गलियों सी हो कर भी उतनी आम नहीं थी. कम से कम मुझे तो ऐसा लगता ही था. वह गली रोज सुबह एक आवाज़ से जागती. पास के मस्जिद से उठती अजान की आवाज़ और फिर मुर्गे की