बार्बी डॉल्स नीला प्रसाद (1) मैंने खुद को आईने के सामने खड़ी होकर देखा - फूले -फूले गालों, झरकर पतले हो गए बालों, पसरकर कमरा हो चुकी कमर, झुर्रियों की आहट समेटे चेहरे, थकी हुई आंखों और चर्बी की परतों से लदे पेट को। मैं अफसोस से भर उठी। मैंने खुद को एक बार फिर दाएं और बाएं घूमकर देखा; इधर -उधर, आगे -पीछे, हर कोण से देखा। नहीं, किसी भी कोण से छरहरेपन की कोई आशा शेष नहीं बची थी। मैं, जिसे छुटपन में दुलार से सब प्यारी गुड़िया कहा करते थे, अब किसी कोण से प्यारी या गुड़िया