पश्चाताप

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पश्चाताप रात के बारह बज रहे थे, लेकिन राधारमण जी की आंखों से नींद मानो कोसों दूर थी। पलंग पर बड़ी बेचैनी से वह करवटें बदल रहे थे। घर में वह बिल्कुल अकेले थे। पत्नी लोला स्थानीय क्लब के वार्षिक समारोह में गई हुई थी। बेटा अनिरुद्ध तो रात के एक बजे से पहले कभी घर लौटता ही नहीं। रोज अपने मनचले दोस्तों की मंडली के साथ डिस्कोथेक, पिक्चर, पार्टियों में व्यस्त रहता। बेटी प्रिया भी जवानी के जोश में डिस्कोथेक, दोस्तों, पार्टियों में व्यस्त रहा करती तथा रात के बारह बजे से पहले कभी घर नहीं लौटती।