किस्मत - भाग-१

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मैं रोज की तरह मेट्रो स्टेशन अभी पहुंचा ही था कि सामने से मेट्रो आती दिखी | मैंने जल्दी से अपने कानों में इयरफोन ठूंसा और ट्रेन का दरवाज़ा खुलते ही डब्बे में घुस गया | किस्मत अच्छी थी कि दरवाजे के पास ही एक सीट खाली थी | मैं लपक कर उस पर जा बैठा | मेरे बैठते ही ट्रेन का दरवाजा बंद हुआ और ट्रेन सरपट गति से दौड़ पड़ी | इत्मीनान से बैठने के बाद मैंने जब अपने आस-पास बैठे लोगों को देखा तो पाया कि कुछ लोग या तो चुप-चाप बैठे थे या फिर मेरी तरह