भीड़ में - 4

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भीड़ में (4) वे चिन्तित होते तो सावित्री कहती, “लल्लू के बाबू—तुम अपने शरीर पर ध्यान दो. देख रही हूं कि कंचन-सी काया मेरी चिन्ता में मिट्टी कर रहे हो. अरे मुझसे तो भगवान ही रूठ गया है---तुम भी अपने को बीमार कर लोगे तो जो दो-चार साल मुझे तुम्हारे साथ रहने को मिलने वाले हैं वे भी न मिलेंगे.” वे चुप रहते. जिन्दगी भर अच्छा खाने-पहनने वाले उन्हें सादा-खाना और दो जोड़ी कपड़ों में अपने को सीमित कर देना पड़ा था. बचपन से दूध उनकी कमजोरी रहा था. सुबह वे दो बिस्कुट या एक केला के साथ आधा लीटर