जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 26. भरोसे की नींव पर खड़ा रिश्ता मैं चुपचाप उनके सामने जाकर खड़ा हो गया। “तुझे अपनी सफाई में क्या कहना है?” “तू कौन-सा नया ज्ञान बघारेगा?” “सीधे-सीधे काम की बात पर आ। तू तो डायरेक्ट पूर्णिमा को ही रिपोर्ट करता था न?” एक-एक कर वे तीनों मुझ पर हावी होने लगे थे और उनकी चुप्पी अब रौद्र रूप लेने लगी थी। मैंने समझा था कि माहौल थोड़ा संवेदनशील हुआ है, मगर यह मेरी गलतफहमी निकली। वे उन लड़कों पर जो आजमाइश नहीं कर पाए थे, वह अब मुझ पर करने को बेताब थे। मैं कुछ