दरमियाना भाग - २२ कातिल अदाओं का कत्ल शायद मैं यह कभी जान नहीं पाता कि आखिर उस दिन तार्इ अम्मा ने मुझे वहाँ से क्यों लौटा दिया था, यदि एक दिन यूँ ही मुझे नगमा न टकरा गर्इ होती। वह किन्हीं दो अन्य दरमियानों के साथ थी और उसने मुझे सरोजनी नगर मार्केट से गुजरते हुए पहचान लिया था। उसके एकटक मुझे देखने से, सोच तो मैं भी रहा था कि 'इसे कहीं देखा है!' मगर टोकना कुछ उचित नहीं लगा था। तभी उसने मेरे निकट आकर दोनों हाथ जोड़ दिए, "सर जी, नमस्ते!" "नमस्ते," तभी मैंने भी पहचाना,