दरमियाना - 21

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दरमियाना भाग - २१ मैंने कहा था न! सुनंदा बहुत कम बोलती, मगर उसकी आँखें बिना बोले रह ही नहीं सकती थीं। वह मुझसे भी ज्यादा कुछ नहीं बोलती थी। तार्इ अम्मा और सुलतान के साथ मेरे संबंधों की सहजता ने भी उसको मेरे प्रति सहज बनाये रखा था। मैं नहीं जानता कि स्वयं उसने मेरे प्रति क्या धारणा बनार्इ थी, मगर हाँ -– मुझे हमेशा ही उसने बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा था। पता नहीं, इसके पीछे मेरा पेशा रहा हो, व्यक्तित्व, व्यवहार, शिक्षा, मेरी सहजता या मेरा शादीशुदा होना! उसकी दृष्टि से, खुद को समझना, मेरे लिए