जिनके दिल टूटे हैं चलते कदम थमे हैं,वो जीना जानते हैं |ना जख्मों को सीना जानते हैं ||तुम उन्हें भी अपना लो |प्यारे तुममेरी बात मान विश्व बंधुत्व का भाव लेकर,जन- जन से बैर भाव छोड दो |"यहा उनका भी दिल जोड़ दो" || हम सब के ओ प्यारे,किस कदर हैं दूर किनारे। जीत की भी क्या आस रखते हैं मन मारे ? ये मन मैले नहीं निर्मल हैं,सबल न सही निर्बल हैं,समझते हैं हम जिन्हें नीचे हैं,वे कदम दो कदम