मैं वही हूँ! (1) मैं नया था यहाँ। नई-नई नौकरी ले कर आया था। इलाके की सभी पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों की देख-रेख और मरम्मत की ज़िम्मेदारी थी मुझ पर। काम आसान तो नहीं था मगर मुझे पसंद था। बीत गया समय और उसकी स्मृति में बचे यह धरोहर अपनी जड़ों की ओर लौटने की पगंडडी जैसी थी और इन पर चल कर खुद तक या उससे भी आगे निकल जाना एक मात्र नशा था जो मैं वर्षों से करता रहा था। जिस उम्र में लोग पार्टी और सैर-सपाटे में समय गुजारते हैं, मैं वीरानियों में ईंट-पत्थर-गाढ़े के मलबों या