अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे - 14

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अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे भाग-14 दो से भले तीन तभी उसे प्रसन्नता से उछलते कूदते आते हुये शेरू को देखा और अगले ही क्षण उन दो डाकुओं को उनके एक तीसरे साथी के साथ आता हुआ देख कुछ शांति का अनुभव किया। अभी वह इस परिस्थिति को समझा भी न था कि एक चिंता ने उसे आ घेरा- अभी तक तो दो ही थे, अब तीन से बचना तो और कठिन हो गया है। उसे घबराया हुआ देख वे तीनो हंसने लगे और नवागंतुक डाकू ने अपने साथियों से पूछा, “तुम लोग इस प्रकार इसकी निगरानी करते हो?”