भीड़ में (1) सुनकर चेहरा खिल उठा था उनका. उम्र से संघर्ष करती झुर्रियों की लकीरें भाग्य रेखाओं की भांति उभर आई थीं. आंखें प्रह्लाद पर टिकाकर पूछा, “कहां तय की लल्लू ने शादी?” “आपको कुछ भी खबर नहीं बाबू जी?” प्रह्लाद, जो उनके चचेरे भाई का बेटा है, ने आश्चर्यमिश्रित स्वर में पूछा था. “इसी शहर---काकादेव की पार्टी है---.” प्रह्लाद रुका, फिर बोला, “मैं सोचता था कि रमेन्द्र ने आपको बताया होगा---वे और भाभी जी तीन बार आ चुके हैं यहां----“ “फुर्सत न मिली होगी---लल्लू ’बिजी’ भी बहुत रहता है.” प्रह्लाद के चेहरे से आंखें हटा वे पास रखे