निर्वाण (3) भगवान अफरोदित के प्राचीन मंदिर के गलियारे में यूलिया अपने सर पर तारों का मुकुट पहने सालों से बैठी है मगर अब तक उसे किसी पुरुष ने पैसे दे कर नहीं खरीदा है क्योंकि वह अन्य अभिजात महिलाओं की तरह गौर वर्ण और सुंदर नहीं है। संभ्रांत महिलाए अपने दास-दासियों के साथ रथ में सवार हो सुंदर परिधानों में आती हैं, आते ही उनके आसपास देह लोलुप पुरुषों की भीड़ लग जाती है। कोई बढ़ कर “मैं तुम्हें देवी मयलिटा के नाम से सहवास का निमंत्रण देता हूँ” कह कर उसकी गोद में कुछ सिक्के रख देता है