ईश्वर चुप है - 4 - अंतिम भाग

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ईश्वर चुप है नीला प्रसाद (4) ‘सॉरी मम्मा... पर मेरी भी तो सोचो। मैं नहीं मान पाती कि पापा जिंदा हैं। अब मुझे पापा को जिंदा मानना नाटक जैसा लगता है। आन्या तो आपसे लिपट सकती है, आपके दुख में शरीक हो सकती है, मैं वह भी नहीं कर सकती क्योंकि मुझे हर क्षण याद है कि वह मैं हूं, जिसने आपको दूसरी शादी करने से मना कर दिया। वह मैं हूं जिसके कारण आज हमारे पास न अपने पापा हैं, न दूसरे पापा। ये गिल्ट मुझे अंदर - ही - अंदर खाता रहता है कि मेरी मम्मा दुखी रहती