बिद्दा बुआ (2) और सच ही सुबह गोपाल बिलकुल चंगा था. बुखार गायब था. अब तो उनकी दवा के गुण गांव में घर-घर गाये जाने लगे. उस दिन से वे केवल गोपाल की ही बुआ नहीं, सारे गांव की बुआ हो गयीं थीं. पहले विद्या बुआ, क्योंकि यही उनका नाम था, बाद में वे विद्या बुआ से हो गयीं बिद्दा बुआ. छोटा-बड़ा, जवान-बूढ़ा उन्हें इसी नाम से पुकारने लगे. जब भी किसीके घर कोई बीमार होता, बिद्दा बुआ को बुलाया जाता, दवा पूछी जाती. लेकिन वे दवा कभी बताती न थीं. कभी-कभी केवल इतना कहतीं--"दवा तो तुम्हारे गांव के आस-पास